मुझे एक टुकड़ा चाहिए मेघ का
खिल उठने के लिए
प्राणमय होने के लिए
स्पर्श की स्पर्श पाने के लिए
ज्वल कर राख नहीं हो सकता
हिमालय की सरल वृक्ष की तरह सरलता से
धूप से बेहतर तो बारिश ही है
वहा ले जाता है साथ
हृदय की अपूर्णता को
दोहरता रहता हूँ
आदिपाठ को आदि से
या कह लो
प्रारम्भिक को प्रारम्भ से
मुझे एक टुकड़ा चाहिए मेघ का
उत्सव की उत्सव में
मगन होने के लिए
युग के लिए
युग न खोने के लिए ….